करुण रास की परिभाषा

करुण रस ( Karun Ras )


परिभाषा - शोक नामक स्थायी भाव जब विभाव , अनुभाव , और संचारी भावों से पुष्ट होता हैं उसे हम ' करुण रस ' कहते हैं |


परिभाषा को विस्तार से समझे  - ' करुण ' का अर्थ होता है '' दुःख या दुखी '' | यदि कोई दुर्घटना हो जाती है और उस दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं और उस घटना से अन्य लोग दुखी रहते हैं , तो यहाँ ' करुण रस ' माना जायेगा | क्योकि ' करुण रस ' का मतलब होता हैं '' दुःख '' |

उदाहरण  -            1 - मणि खोये भुजंग - सी जननी , फन सा पटक रही थी शीश |
                               अन्धी आज बनाकर मुझको , किया न्याय तुमने जगदीश ||

                          2 - हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक ,
                               गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक |

                          3 - दुःख ही जीवन की कथा रही 
                               क्या कहूँ , आज जो नहीं कहीं |

स्थायी भाव -    शोक |

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