सोरठा छंद की परिभाषा एंव उदाहरण

 सोरठा एक मात्रिक छंद है। यह दोहा का ठीक उलटा होता है। इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है। उदाहरण:-

कुंद इंदु सम देह , उमा रमन करुनायतन ।

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जाहि दीन पर नेह , करहु कृपा मर्दन मयन ॥

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–रामचरितमानस

सोरठे के कुछ और उदहारण-

  1. जुर-मिल तीनो भाय ,करी विदा दुई बहिना ।
    सुमरी शरद माय ,कछु भार घटा कंधे से ।।१।।
  2. भैया ठाडे तीन ,साथ में स्यामाबाई ।
    भीगे नयन मलीन ,दूर जात दुई बहना ।।२।।
  3. भई ओझल आँखिन सु ,बरात की बैलगाड़ी ।
    उड़ गई सुगंध चन्दन सु ,आभा उडी सोने की ।।३।।

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